Thursday, February 04, 2016

बेचैनी

   मौत का ख़ौफ़ शायद इकलौता ऐसा ख़ौफ़ है जो न तो झुठलाया जा सकता है, न टाला जा सकता है। हर रात, अपने प्रिय परिजनों के ग़ुज़र जाने के ख़यालों से मैं बेचैन हो उठता हूँ। कभी यह भी ख़याल आता है कि अगर कल को मैं चल बसु तो जिन्हें पीछे छोड़ जाउंगा, उन्के जीवन किस तरह बदल जाएँगे। आज कार में जाते हुए, एक क्षण में एक हादसा देखा, एक स्कूटर चालक महिला का पैर चलते ट्रैक्टर के बड़े पहिये के नीचे आ गया। आधे सैकि्ड में जो मैंने यह देखा और उस औरत की चीख़ सुनी, मैं सकपका सा गया। ट्रैफ़िक बहुत था और मैं रुक न पाया और आगे निकल गया। रियर-व्यू शीशे मैं देखा कि कुछ खलबली मंच चुकी थी। मैं दुखद पुरानी यादों में खो गया। बाक़ी का रास्ते मैं सुनन सा पड़ गया। सोच रहा था कि वो औरत कितने दर्द में होगी....और फिर कुछ और भी याद आ गया।

   पापा का वह ऐक्सीडेंट मांनो फिर से मेरी आँखो के सामने मँडराने लगा। हर बार वो बेबसी के पल याद आते है जब मैं पापा औप्रेशन थियेटर के बाहर स्ट्रैचर पर लहु-लुहान पड़े अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे और मैं उन्के सिरहाने पर सिर रख कर आँखें बंद कर यह दुआ कर रहा था कि या रब्ब, काश कि यह सब एक बुरा सप्ना हो। बहुत देर आपाँ संभाला और फिर आँसू रोक न पाया, उसी वख्त पापा का हाथ मेरे सिर को सहलाने लगा। मैं हैरान था कि वह होश में थे, क्यूँकि वह कुछ घँटों से ज़रा भी हिले नहीं थे, बस साँस चल रही थी। ख़ैर, वह मेरे सिर को ऐसे सहलाने लगे जैसे बचपन में सहलाते थे; उनके हाँथ ज़रा भारी हैं, मेरे हाँथों से काफ़ी भारी। पता नहीं क्यूँ, वह पल मेरे दिल के सबसे क़रीब है। इस वारदात को क़रीब आठ साल बीत गए। पापा आठ साल और बुज़ुर्गी में बढ़ गए है। वह मेरे छः महीने के बेटे, अपने पोते, से बहुत प्यार करते हैं, इतना प्यार कभी मेरे लिये ज़ाहिर नहीं किया, कभी कभी मुझे इस बात से हैरानी, या कहो कि जलन होती है।
   हम बाप बेटे किस दौड़ भाग में फँसे रहे और साथ रह कर भी अजनबी बने रहे। या रब्बा, इन ज़ख़्मों को भर और इस ख़ौफ़ से निजात दिल्वा....कहीं अपने सच में अपना मानने से पहले न ग़ुज़र जाएँ, या वो रह जाएँ और हम ग़ुज़र जाएँ।

"हमें आज़माइश मे न पढ़ने दे, बल्कि बुराइ से बचा
क्युंकि बादशाहत, क़ुदरत और जलाल, अबद तक तेरे हैं।"

2 comments:

rajni goyal said...

Kisi roz mehfil jamegi to zirah karenge,
tune smjha nahin ya tujhe mila nahin ye poochenge,
yun toh bahut mauke the ham zaahir kar hi dete,
gar jo tu na bikhar jaaye isi par zikr karenge...

AJ said...

wah Rajni wah
Nehele pe dehela.